तो दोस्तों आज हम आप लोगों के साथ शेयर करने वाले हैं दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरी (Dosti Par Mashoor Shayaro Ki Shayari) का संपूर्ण कलेक्शन जो कि आप लोगों को जरूर अच्छा लगेगा।
दोस्तों दुनिया का सबसे अच्छा रिश्ता दोस्ती को माना जाता है और दोस्ती के ऊपर बहुत सारे शायरो ने अपने अपने अंदाज में शायरियां लिखी यानी की दोस्ती के ऊपर कुछ लिखा है जो कि इस समय लोगों को शायरी या फिर गजल लगता है असल में वह अपने अंदर के अल्फाज है दूसरे के ऊपर।
तो दोस्ती के ऊपर बहुत से प्रसिद्ध है शायरी ने शायरियां लिखी है उनका कलेक्शन हम आप लोगों को देने वाले हैं जो की बहुत ही अच्छी शायरियां है दोस्ती के ऊपर जो कि हिंदी और उर्दू में लिखी हुई है उनको आप लोग पढ़ोगे तो आप लोगों को अपनी दोस्ती के ऊपर फक्र महसूस होगा।
तो मेरे दोस्त आप जहां कहीं से आए हो पर सही जगह पर आए हो क्योंकि यहां पर हमने दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरियों का कनेक्शन करके रखा है उनको आप नीचे जाकर आराम से पढ़ सकते हो तो आप लोग जल्दी से नीचे स्क्रॉल करके जाइए और इन सभी शायरियों को पढ़ लीजिएगा।
Dosti Par Mashoor Shayaro Ki Shayari Images
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी,
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया।
हरी चंद अख़्तर
दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा,
जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे।
सलीम सिद्दीक़ी
दोस्त है तो मेरा कहा भी मान,
मुझसे शिकवा भी कर बुरा भी मान।
– राहत इंदौरी
दोस्तों से मुलाकात के नाम पर,
नीम की पत्तियाँ चबाया करो।
– राहत इंदौरी
ज़िद हर इक बात पर नहीं,
अच्छी दोस्त की दोस्त मान लेते हैं।
~ दाग़ देहलवी
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ,
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ।
~ वसीम बरेलवी
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत,
या रब मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं।
– हफ़ीज़ जालंधर
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए,
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए।
~ शाज़ तमकनत
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ,
मैं जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं।
(शय = चीज़)- जिगर मुरादाबादी
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ,
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ।
~ अहमद फ़राज़
दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरी फोटो
मेरे दोस्तों की पहचान इतनी मुशिकल नहीं,
फराज” वो हँसना भूल जाते हैं मुझे रोता देखकर।
अहमद फ़राज़
मैं अब हर शख़्स से उक्ता चुका हूँ,
फ़क़त कुछ दोस्त हैं और दोस्त भी क्या।
जौन एलिया
दोस्ती को बुरा समझते हैं,
क्या समझ है वो क्या समझते हैं।
– नूह नारवी
सुन के दुश्मन भी दोस्त हो जाए,
शहद से लफ़्ज़ भी ज़बान में रख।
– उमैर मंज़र
निगाह-ए-नाज़ की पहली सी बरहमी भी गई,
मैं दोस्ती को ही रोता था दुश्मनी भी गई।
माइल लखनवी
दोस्तों! नाव को अब खूब संभाले रखियो,
हमने नजदीक ही इक ख़ास भंवर देखी है।
– गोपाल दास नीरज
‘शाइर’ उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं,
आप ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सँभल जाते हैं लोग।
हिमायत अली शाएर
दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो,
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो।
– ख्वाज़ा हैदर अली आतिश
आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें,
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं।
लाला माधव राम जौहर
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त,
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से।
~ हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़रीबी छूत का है रोग शायद मेरा,
हर दोस्त मुझ से बच रहा है।
– राज़िक अंसारी
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन,
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है।
– सुहैल अज़ीमाबादी
किसको कातिल मै कहू किसको मसीहा समझू,
सब यहाँ दोस्त ही बैठे है किसे क्या समझू।
– अहमद नदीम कासमी
फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है ‘असद’,
दोस्ती नादाँ की है जी का ज़ियाँ हो जाएगा।
मिर्ज़ा ग़ालिब
दोस्ती अपनी भी असर रखती है,
फ़राज़ बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो।
अहमद फ़राज़
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दिल है एक और दो आलम का तमन्नाई है,
दोस्त का दोस्त है हरजाई का हरजाई है।
– इक़बाल अशहर
दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस,
हम ये शम्अ’ जलाना भूल गए।
अंजुम लुधियानवी
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा,
दोस्तों को आज़माते जाइए।
~ ख़ुमार बाराबंकवी
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या,
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं।
लाला माधव राम जौहर
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी।
एहसान दानिश
हम को यारों ने याद भी न रखा,
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो।
~ जौन एलिया
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए,
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं।
इस्माइल मेरठी
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ,
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है।
– लाला माधव राम जौहर
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में,
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं।
लाला माधव राम जौहर
दोस्त हम उसको ही पैग़ाम-ए-करम समझेंगे,
तेरी फ़ुर्क़त का जो जलता हुआ लम्हा होगा।
– अब्बास अली दाना
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
~ बशीर बद्र
छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के,
ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये।
– अदम गोंडवी
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ,
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो।
लाला माधव राम जौहर
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें,
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो।
– सुदर्शन फ़ाकिर
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है,
रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है।
अज्ञात
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं,
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं।
– शकील बदायुनी
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे,
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है।
– शकील बदायुनी
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है,
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए।
माहिर-उल क़ादरी
लोग डरते हैं दुश्मनी से,
तिरी हम तिरी दोस्ती से डरते हैं।
– हबीब जालिब
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली,
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली।
बशीर बद्र
मैं तौबा दोस्ती से कर तो लूँ लेकिन,
हमेशा पीठ पे ख़ंजर नहीं आया।
– आतिश इंदौरी
मैं उसूलों में कोई ढील नहीं कर सकता,
दोस्ती इश्क़ में तब्दील नहीं कर सकता।
– आतिश इंदौरी
दुश्मनी ने सुना न होगा,
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया।
– ख़्वाजा मीर ‘दर्द’
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे,
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे।
शकील बदायुनी
तेरे अहबाब तुझसे मिल के फिर मायूस लौट गये,
तुझे नौशाद कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता।
– नौशाद लखनवी
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर,
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए।
अहमद फ़राज़
तारीफ सुनके दोस्त से ‘अल्वी’ तू खुश न हो,
उसको तेरी बुराईयां करते हुए भी देख।
– मुहम्मद अलवी
वो कैसे लोग होते है,
जिन्हें हम दोस्त कहते है।
न कोई खून का रिश्ता ना कोई साथ सदियों,
का मगर एहसास अपनों सा वो अनजाने दिलाते है।
– इरफ़ान अहमद मीर
सब दोस्त मेरे मुंतजिरे-पर्दा-ए-शब् थे,
दिन में तो सफ़र करने में दिक्कत भी बहुत थी।
– परवीन शाकिर
पुराने दोस्त उस सोंधी खुशबू की तरह होते है,
जिस मिट्टी पर अभी अभी बारिश हुई हो।
मेहरबाँ तेरी नज़र, तेरी अदाएं कातिल,
तुझको किस नाम से ऐ दोस्त पुकारा जाये।– क़तील शिफ़ाई
वक्त तो गुजर ही रहा,
गुजर गए कई साल भी।
नए दोस्त तो बनाए हमने,
पर याद आते वो पुराने यार ही।
खुदा जब दोस्त है ऐ दाग क्या दुश्मन से अंदेशा,
हमारा कुछ किसी की दुशमनी से हो नहीं सकता।
– दाग देहलवी
पुरानी यादों का कोई पहरेदार नही मिलता,
अब चाय की टपरी पर कोई यार नही मिलता।
मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से,
न इख़्तियार है उस का न मेरा चारा है।
– ग़मगीन देहलवी
कुछ वक्त लेकर आना चाय पर चर्चा करते हे,
अब यारो वो चाय की टपरी और पुराने दोस्त कहा मिला करते हैं।
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है,
दोस्तों ने भी क्या कमी की है।
– हबीब जालिब
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी,
दोस्ती ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा।
– इम्दाद इमाम असर
पुराने दोस्त याद आए,
याद करते है हम यारो की दोस्ती।
यादों से दिल भर आता है,
कल साथ जिया करते थे मिलकर,,
आज मिलने को दिल तरस जाता है।
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को,
दोस्तो अपने तअ’ल्लुक़ को सँवारा जाए।
– संतोष खिरवड़कर
सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक,
साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती।
– शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
नई किताबे नए बैग और कुछ पुराने दोस्त मिलते थे,
शायद आज साल का वो दिन है,,
जिस दिन हमारे स्कूल खुला करते थे।
मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मेरे दोस्त,
मुझसे अलग नही होने चाहिए।
दिल वही लौटना चाहता है,
जहा दुबारा जाना मुमकिन नहीं।
बचपन, मासूमियत,
पुराना घर, पुराने दोस्त।
हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो,
पत्थर मेरे घर में आने लगे हैं।
– ख़ुमार बाराबंकवी
वो चाय रखी है टेबल पर,
इतवार पुराने ले आओ।
हम कह देंगे कल छुट्टी है,
तुम यार पुराने ले आओ पी।
तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती,
ज़मीं टूट के तारों पे गिर गई होती।
– सलमान अख्तर
परछाईं बन के साथ रहे तेज़ धूप में,
बीमार दोस्तों के लिए हम दवा हुए।
– सलमान अख्तर
मज़ाक करने का शोक ही नहीं रहा,
क्योंकि अब पहले जैसा कोई दोस्त ही नही रहा।
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है,
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ।
– बाक़र मेहदी
किसी शाम मुझे भी याद कर लिया करो यारो,
में दोस्त पुराना ही सही मगर अभी जिंदा हु।
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो,
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया।
– इम्दाद इमाम असर
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास,
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये।
– शहरयार
मज़ाक भी किस से किया जाए साहब,
पुराने दोस्त भी अब इज्जत चाहते हैं।
आने वाले दोस्त कितने भी हसीन क्यों न हो,
पर पीछे छुटने वाले दोस्त दिल को बैचेन कर जाते हे।
ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का,
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर।
– साक़ी फ़ारुक़ी
नई चीजे अच्छी लगती है,
मगर दोस्त पुराने, अच्छे लगते है।
पुराने दोस्त याद आए,
जब जब हम बेवजह मुस्कुराए।
फिर आखों में बरसात आए,
अच्छे बुरे सभी लम्हे आखों के पास आए,,
जब पुराने दोस्त याद आए।
ताक़त को आज़मा तो लिया, दोस्तों ने भी,
अपने ही दोस्तों कि कलाई मरोड कर।
– जमील मलिक
पुराने दोस्त याद आए,
वो वक्त पुराना याद आया।
जब जब बात खुशी की आई,
बचपन का जमाना याद आया।
कौन रोता है किसी और कि खातिर,
ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया।
– साहिर लुधियानवी
जब मन निर्मल झरना सा था,
दिल खोल सभी मुस्कुराते थे।
इनसे ही रिश्ता संवरता था,
यही दोस्त कहलाते थे।
दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो,
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो।
– कलीम आजिज़
अब मोह माया के रिश्तों में,
दिली दोस्त कहा मिल पाते है।
दिल खोल के अब किसको बतलाए,
सच में पुराने दोस्त बहुत याद आते है।
ये कहा कि दोस्ती है, बने है दोस्त,
नासेह कोई चारासाज होता, कोई गमगुसार होता।
– मिर्ज़ा ग़ालिब
तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था,
औरो पे है वो जुल्म की मुझ पर न हुआ था।
– मिर्ज़ा ग़ालिब
पुराने दोस्त मुझे हर वक्त याद आए,
भूल न पाए वो पल जो हमने साथ बिताए।
ता करे न गम्माजी, कर लिया है दुश्मन को,
दोस्त की शिकायत में हमने हमजबा अपना।
– मिर्ज़ा ग़ालिब
दोस्त दारे-दुश्मन है, एतमादे-दिल मालूम,
आह बेअसर देखी, नाला नारसा पाया।
– मिर्ज़ा ग़ालिब
प्यासे को पाणी की जरूरत होती है,
जख्मों को मरहम की जरूरत होती है।
ज़िंदगी मे और कुछ हो न हो,
पर ज़िंदगी जीने के लिए दोस्तों की जरूरत होती है।
वह मेरा दोस्त है या दुश्मन है,
क्यों रखे मेरा ध्यान है यारो।
– मीर तकी मीर
दोस्ती दोस्तों के बाइस है,
तीर है तो कमान है यारो।
– मीर तकी मीर
दोस्ती मे और प्यार मे बस इतना फर्क है,
प्यार कहता है मै तुम्हारे लिए जान दूंगा।
और दोस्त कहता है जबतक मै जिंदा हूँ,
तबतक तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा।
बता दिया की बुज़ुज़ दोस्त और भी कुछ है,
फ़लक़ किसी ने मेरी जिंदगी में आ के मुझे।
– हीरालाल फलक देहलवी
जो हर वक्त बकता है वो होता है यार,
जो हर पल साथ होता है वो होता है यार।
और जो दिल मे दिमाग ना,
रखता हो वो होता है यार।
हम तो अब भी है उसी तन्हा-रवि के कायल दोस्त बन जाते है,
कुछ लोग सफ़र में खुद ही।
– नौमान शौक
कीजिए कुछ नया, कहता है बदलता मौसम,
नए कुछ दोस्त बनाओ, कि नया साल है आज।
– कुलदीप सलिल
खून के रिश्तों के सामने दोस्ती की कीमत कम नहीं होती,
सिर्फ प्यार मे ही जीने की खुशबू नहीं होती।
साथ हो अगर ज़िंदगी मे अच्छे दोस्तों का तो,
ज़िंदगी भी किसी जन्नत से कम नहीं होती।