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दर्द भरी शेरो शायरी फोटो
बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में,
कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती।
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे,
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।
वसीम बरेलवी
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया।
शकील बदायुनी
जो नजर से गुजर जाया करते हैं,
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं।
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते,
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं।
हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे,
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे।
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया,
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे।
रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है,
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है।
हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू,
ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।
तेरे ऐसे सच्चे आशिक़ है हम,
दिलमे जिसके प्यार न हो कभी कम।
सच्चे प्यार में तो ज़िन्दगी महक जाती है,
ना जाने हमारी आँखे क्यों है नम।
रोता वही है जिसने कद्र किया हो सच्चा रिश्ता को,
मतलब पे रिश्ते रखने वालो को कोई रुला नहीं सकता।
तुमको लेकर मेरा ख्याल नही बदलेगा,
साल बदलेगा मगर दिल का हाल नहीं बदलेगा।
जख्म ही देना तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,
बे रहम तूने वार क्या वो भी दिल ही वार क्या।
Dard Bhari Shero Shayari images
बदले हुए लोगो के बारे मैं क्या कहू यारो,
मैंने अपने ही प्यार को किसी और का होते देखा है।
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता।
जरा सी गलतफहमी पर,
न छोड़ो किसी अपने का दामन।
क्योंकि जिंदगी बीत जाती है,
किसी को अपना बनाने में।
आँसू भी आते हैं और दर्द भी छुपाना पड़ता है,
ये जिंदगी है साहब यहां जबरदस्ती भी मुस्कुराना पड़ता है।
अदाएं कातिल होती हैं,
आँखें नशीली होती हैं।
मोहब्बत में अक्सर होंठ सूखे होते हैं,
और आँखे गीली होती हैं।
जहर की भी जरुरत नहीं पड़ी हमें मारने के लिए,
तुम्हारे ऐसे बर्ताव ने ही हमें मार डाला।
हाथों की लकीरें पढ़ के रो देता है मेरा दिल,
सब कुछ तो है मगर एक तेरा नाम क्यूँ नहीं है।
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है,
उनकी आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं।
ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता।
निदा फ़ाज़ली
हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे,
लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे।
कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए,
जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे।
दिल मेरा जो अगर रोया न होता,
हमने भी आँखों को भिगोया न होता।
दो पल की हँसी में छुपा लेता ग़मों को,
ख़्वाब की हक़ीक़त को जो संजोया नहीं होता।
लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है,
मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है।
गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर,
लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है।
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं,
कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं।
दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद,
वो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं।
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खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे,
दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे।
तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे,
सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम।
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
Dard Bhari Shero Shayari Hindi Mai
नज़र और नसीब में भी क्या इत्तफ़ाक़ है,
नज़र उसे ही पसंद करती है जो नसीब में नही होता।
कल रात वो शख्स मेरे खवाबो का भी काटल कर गया,
लोग कितना मुक़ाम रखते है छोड़ जाने के बाद।
मै मर जाऊ तो उसे खार तक भी ना होने देना,
वो सख्श मसरूफ बहुत है कही उसका वक़्त बर्बाद न हो जाये।
कितना मुश्किल है मोहब्बत की कहानी लिखना,
जैसे पानी से पानी पे पानी लिखना।
मिलता भी नहीं तुम्हारे जैसे इस शहर में,
हमको क्या मालूम था के तुम भी किसी और के हो।
तुझे पाने की तमन्ना दिल से निकाल दी मैंने,
मगर आँखों को तेरे इंतज़ार की आदत सी बन गयी है।
बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कहानी,
ज़ख्म का कोई निशान नहीं और दर्द की कोई इंतहा नही।
वो मुझे से बिछड़े तो जैसे बिछड़ गयी ज़िन्दगी,
मैं ज़िंदा तो हूँ पर ज़िंदा नहीं रहा।
तेरे नफरत से भी मैंने रिश्ता निभाया है,
तूने बार बार मुझे फाल्तू होने का अहसास दिलाया है।
दुआ करना दम भी उसी दिन निकले,
जिस दिन तेरे दिल से हम निकले।
आधा ख्वाब आधा इश्क़ आधी सी है बंदगी,
मेरे हो पर मेरे नही कैसी है ये जिंदगी।
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख्यालों के बाद।
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद।
अगर खुदा ने पूछा तो कह देंगे हुई थी,
मोहब्बत, मगर जिससे हुई,,
हम उसके काबिल न थे।
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी,
अब चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखों का पानी।
अपना बनाकर फिर कुछ दिन में बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे तो मजबूरी का बहाना बना दिया।
Dard Bhari Shero Shayari Download
उन लोगों का क्या हुआ होगा,
जिनको मेरी तरह गम ने मारा होगा।
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने,
डूबने वाले ने किस किस को पुकारा होगा।
वो नही आती पर अपनी निशानी भेज देती है,
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है।
उसकी यादों के पल कितने भी मीठे हैं,
मगर कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है।
जाने लागे जब वो छोड़ के दामन मेरा,
टूटे हुए दिल ने एक हिमाक़त कर दी।
सोचा था कि छुपा लेंगे ग़म अपना,
मगर कमबख्त आँखों ने बगावत कर दी।
कितना लुत्फ ले रहे हैं लोग मेरे दर्द-ओ-ग़म का,
ऐ इश्क़ देख तूने तो मेरा तमाशा ही बना दिया।
कहीं शेरो-नगमा बन के कहीं आँसुओं में ढल के,
वो मुझे मिले तो लेकिन कई सूरतें बदल के।
अब के सफ़र में दर्द के पहलू अजीब हैं,
जो लोग हम-ख़याल न थे हम-सफ़र हुए।
खलील तनवीर
दर्द सा दर्द है भरा उसमें,
टूटे दिल की सदा को रोते हैं।
-रियाज़ ख़ैराबादी
न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता,
न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता।
क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे,
शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता।
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये,
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये।
कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें,
और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये।
मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे,
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे,,
तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़,
आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़।
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़,
और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास।
ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं।
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है।
कोई मरता नहीं किसी ले लिए ये सच है,
मगर ये सच है कोई मर मर के जीता है किसी के लिए।
अभी मसरुफ हूँ काफी फुर्सत में सोचूंगा तुम्हे,
के तुझे याद रखने में क्या क्या भूले है हम।
मोहब्बत छोड़ कर हर एक जुर्म कर लेना,
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे तनहा रातों के।
Dard Bhari Shero Shayari Wallpaper
कभी रो के मुस्कुराए कभी मुस्कुरा के रोए,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए।
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा,
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा के रोए।
ना मेरा दिल बुरा था,
ना उसमे कोई बुराई थी।
बस नसीब का खेल है,
क्योंकि किस्मत में जुदाई थी।
एक दिन हम भी कफन ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे।
जितना जी चाहे सता लो मुझको,
एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे।
ना आंसूओं से छलकते हैं,
ना काग़ज़ पर उतरते हैं।
दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस,
भीतर ही भीतर पलते है।
तुम पर भी यकीन है और,
मौत पर भी एतबार है।
देखते हैं पहले कौन मिलता है,
हमें दोनों का इंतजार है।
ये सच है कि हम मोहब्बत से डरते हैं,
क्यूँ कि ये प्यार दिल को बहुत तड़पाता है।
आँख में आँसू तो हम छुपा सकते हैं,
दर्द-ए-दिल दुनिया को पता चल जाता है।
कितना अजीब ज़िन्दगी का सफर निकला,
सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला।
जिसके नाम अपना हर लम्हा कर दिया,
वही हमारी चाहत से बेखबर निकला।
पहलू का दर्द कैसा है ये तो बताइए,
देखूँ मैं नब्ज़ हाथ तो अपना बढ़ाइए।
-मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे,
बेहिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे।
शकील बदायुनी
वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी।
उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।
दर्द कितना है बता नहीं सकते,
ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते।
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।
अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे।
उनसे क्या गिला करें भूल तो हमारी थी,
जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे।
दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है,
टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है।
किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो,
अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है।
वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते,
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते।
मर गए पर खुली रखी आँखें,
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते।
भूल जाना तो दुनिया का रसम है दोस्त,
तुमने भुला दिया तो कोण का कमाल कर दिया।
Dard Bhari Shero Shayari Sunaiye
हम कहीं जायेंगे बना लेंगे जगह अपने लिए,
हम को आता है दिल में उतर जाना।
चाँद के रूप में आते ही नहीं तुम,
गम की रातों मैं अज़ाब जनस बहार होता।
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते है दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है।
वो बेवफा यूँ ही बदनाम हो गया,
हजारो चाहने वाले थे किस किस से प्यार करता।
मसरूफियत में आती है बेहद तुम्हारी याद,
फुर्सत में तेरी याद से फुरसत नहीं मिलती।
साकी को गिला है के बिकती नहीं शराब,
और एक नाम है के होश में आने नहीं देता।
अगर वो खुश है देखकर आंसू मेरी आंखों में,
तो रब की कसम हम मुस्कुराना छोड़ देंगे।
तड़पते रहेंगे उसे देखने के लिए,
लेकिन उसकी तरफ नज़रें उठाना छोड़ देंगे।
टूट जायेगी तुम्हारी जिद की आदत भी उस दिन,
जब पता चलेगा की याद करने वाला अब याद बन गया।
सुना भी कुछ नही,
कहा भी कुछ नही।
पर ऐसे बिखरे हैं,
जिंदगी की कश्मकश में।
कि टूटा भी कुछ नही,
और बचा भी कुछ नही।
हम हंसते तो हैं लेकिन सिर्फ,
दूसरों को हंसाने के लिए।
वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि,
ठीक से रोया भी नही जाता।
तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता,
तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी।
तुम मेरी लाश पर रोने मत आना,
मुझसे बहुत प्यार था ये जताने मत आना।
दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूं,
जब सो जाऊं फिर जगाने मत आना।
ऐसे गये दिल की ज़मी बंजर कर के,
आज तक कोई फूल ना खिल सका।
बस्ती बस्ती लोग मिले हमराह मगर,
फिर कभी तेरा पता ना मिल सका।
ख़ामोश फ़ज़ा थी कहीं साया भी नहीं था,
इस शहर में हमसा कोई तनहा भी नहीं था।
किस जुर्म पे छीनी गयी मुझसे मेरी हँसी,
मैंने किसी का दिल तो दुखाया भी नहीं था।
मेरे दर्द का जरा सा हिस्सा लेकर तो देखो,
सदियों तक याद करते रहोगे तुम भी।
दर्द भरी शेरो शायरी
शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं,
वरना कागजों पर लफ्जों के जनाज़े उठते।
दिल से महसूस कर सकते हैं उस दर्द को,
जो तेरी कलम ने एक-एक करके तराशा है।
सब सो गए अपना दर्द अपनों को सुना के,
कोई होता मेरा तो मुझे भी नींद आ जाती।
मेरे आँसुओं के दाम तुम चुका नहीं पाओगे,
मोहब्बत न ले सके तो दर्द क्या खरीदोगे।
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं।
जाँ निसार अख़्तर
दर्द जितना भी उसे बेदर्द दुनिया से मिला,
शायरी में ढल गया कुछ आँसुओं में बह गया।
हबीब जालिब
ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे,
आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे।
ये मत पूछना किसने दर्द दिया,
वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे।
एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आँसूं समंदर नज़र आता है।
कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना,
हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता है।
कांटो सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई।
कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए,
अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए।
हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी,
प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।
प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है।
प्यार नहीं किया तो कर के देख लो यारों,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
जीते थे हम भी कभी शान से,
महक उठी थी जिंदगी किसी के नाम से।
मगर फिर गुज़रे उस मुकाम से,
कि नफ़रत सी हो गई मोहब्बत के नाम से।
इश्क़ की नासमझी में,
हम अपना सबकुछ गवां बैठे।
उन्हें खिलौने की जरूरत थी,
और हम अपना दिल थमा बैठे।
छोड़ते भी नही हाथ मेरा और थामते भी नही
ये कैसी मोहब्बत है उनकी गैर भी नही,,
कहते हमे और अपना मानते भी नही।
तू मेरे बिना ही खुश है तो शिकायत कैसी,
अब मैं तुझे खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी।
जब आख़िरी मुलाकात हो तो हंस,
कर देख लेना मुझे, क्या पता।
अगली बार तुम हमें कफन में,
देखो और मुस्कुरा भी ना पाओ।
लगी है चोट दिल पे दिखा नही सकते,
भुलाना भी चाहे तो भुला नही सकते।
मोहब्बत का अंजाम यही होता है,
जिसके लिए तरसते हैं उसे पा नही सकते।
कभी कभी करते हैं जिंदगी की तमन्ना,
कभी मौत का इंतजार करते हैं।
वो हमसे क्यों दूर हैं पता नही, जिन्हें हम,
जिंदगी से भी ज्यादा प्यार करते हैं।
ज़िंदगी रही तो याद सिर्फ तुम्हे ही करते रहेंगे,
भूल गए तो समझ जाना अब हम ज़िंदा नही रहे।।
मुस्कुराने से भी होता है दर्द-ए-दिल बयां,
किसी को रोने की आदत हो ये जरूरी तो नहीं।
ग़म सलीके में थे जब तक हम खामोश थे,
जरा जुबान क्या खुली दर्द बे-अदब हो गए।
वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर पहलू बदल के बोले,
कोई छीने कलम इनसे ये तो जान ले चले हैं।
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है,
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह।
ख़ूब इलाज कर दिया अपने मरीज़-ए-इश्क़ का,
दर्द मिटाने आए थे दर्द दिया मिटा दिया।
बासित भोपाली
तसव्वुर ज़ुल्फ़ का गर छोड़ दूँ मिज़्गाँ का खटका है,
जो सर के दर्द से फ़ुर्सत मिली दर्द-ए-जिगर होगा।
आग़ा अकबराबादी
एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए,
कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए।
उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था,
वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए।
जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था,
हमसा कोई किसी जुर्म में आया भी न था।
न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी,
हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता।
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,
जिसका रास्ता बहुत खराब है।
मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा,
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते।
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा,
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
ना कोई मंजिल है ना कोई किनारा है,
ना हम किसी के ना कोई हमारा है।
हम बहुत हंसते थे,
जिंदगी ने आज रोना सीखा दिया।
सबके साथ बैठना अच्छा लगता था,
आज अकेले रहना सीखा दिया।
बात करने का शौक तो बहुत था, पर,
जिंदगी ने आज चुप रहना सीखा दिया।
रो पड़ा वो फकीर भी मेरे हाथों की लकीरें देखकर,
बोला तुझे मौत नही किसी की याद मारेगी।
मैंने कभी किसी को आजमाया नही,
जितना प्यार दिया उतना कभी पाया नही।
किसी को हमारी भी कमी महसूस हो,
शायद खुदा ने मुझे ऐसा बनाया नही।
प्यार किया नादान थे हम,
गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम।
आज जिन्हें नज़रें मिलाने में तकलीफ होती है,
कभी उसकी जान थे हम।
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है,
उन्हें कैसे समझाऊं की कुछ ख़्वाब अधूरे हैं,,
वरना जीना मुझे भी आता है।
सारे जमाने में बंट गया ‘वक्त उनका,
हमारे हिस्से में सिर्फ बहाने ही आए।
लफ्ज़-ए-तसल्ली तो बस एक तकल्लुफ है,
जिसका दर्द उसका दर्द बाकी सब अफ़साने।
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ,
हमें यकीन था हमारा क़सूर निकलेगा।
हम पे जो गुजरी है, तुम क्या सुन पाओगे,
नाजुक सा दिल रखते हो रोने लग जाओगे।
अपनी ही मोहब्बत से मुकरना पड़ा मुझे,
जब देखा उसे रोता हुआ किसी और के लिए।
अपना दर्द भुला दें ऐ दिल उस के दर्द की ख़ातिर,
अपने घाव याद न आएँ चाँद का घाव देखें।
अहमद ज़फ़र
जब मरीज़-ए-इश्क़ को कोई दवा आई न रास,
दर्द ही को दर्द की आख़िर दवा हम ने कहा।
-अज्ञात
कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं,
इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं।
झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी,
इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।
वो तो अपने दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,
हमारी तन्हाईयों से आँखें चुराते रहे।
और हमें बेवफ़ा का नाम मिला,
क्योंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे।
जो मेरा था वो मेरा हो नहीं पाया,
आँखों में आंसू भरे थे पर मैं रो नहीं पाया।
एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि,
हम मिलेंगे ख़्वाबों में पर मेरी बदकिस्मती तो देखिये,,
उस रात तो मैं ख़ुशी के मारे सो भी नहीं पाया।
ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका,
मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका।
ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया,
ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।
नही कोई इस जहां में मुझे समझने वाला,
एक आस थी तुझे वो भी टूट गई।
सोचा था हर दर्द बताएंगे तुमसे मिलकर,
तुमने तो इतना भी नही पूछा कि तुम खामोश क्यों हो।
ग़म के दरिया से मिलकर बना है यह सागर,
तुम क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो।
कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा,
तुम क्यों ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
हमें नही आता अपने दर्द का दिखावा करना,
बस अकेले रोते हैं, और सो जाते हैं।
गुनाह मालूम नही,
पर सजा लाज़वाब मिली है।