जय जोहर जय आदिवासी दोस्तों इस लेख में है हम आप लोगो को Adivasi Shayari In Hindi का सम्पूर्ण कलेक्शन आप लोगो को देने वाले है। जोकि आप लोगो को पढ़ना चाहिए अगर आप एक आदिवासी हो और अपने समाज और संस्कृति को बचाना चाहते तो यहाँ हमने कुछ ऐसे ही आदिवासी शायरी को लिख कर के रखा है।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम जो आदिवासी शायरी आप लोगो को दे रहे है वो हमने चुन चुन के एकत्रित किया अपने आदिवासी समाज और संस्कृति के लिए वैसे भी 9 अगस्त आने वाला है तो आप इसका उपयोग कर सकते हो।
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Adivasi Shayari In Hindi
ये फिल्में भी मुझे बदनाम सी करती है,
मेने कई अपने युवाओ को देखा है।
आदिवासी होने पर भी,
अपनी पहचान को छुपाते छुपाते।

शर्म नहीं है गर्व है मुझे पीला गमछा धारण कर,
शर्माया वे करते हैं, जिन्हें शक है खुद के आदिवासी होने पर।

मै उस समाज का वंशज है,
जिसमें क्रांतिकारी जन्म लेते आये है।

आदिवासी से पंगा मत लेना क्योंकि,
जिन तूफानों में लोगों के झोपड़े उड़ जाया करते हैं।
उन तूफानों में हम आदिवासी कपड़े सुखाया करते हैं।
जय जोहार जय आदिवासी🦁

हसदेव पर पर्यावरण प्रेमी प्रकृति प्रेमी जनता,
व आदिवासी समाज और युवाओं,,
ने अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

जंगल है वन्य जीवो का बसेरा,
इसे बचाने में ना करो तेरा-मेरा ।

ना 16 का डोला ना 46 की छाती,
घर में घुस के मरेंगे बेटा,,
क्यों की आदिवासी है हमारी जाति।

संस्कृति तुम अपनी ज़िंदा हमेशा रखना,
इस दुनियाँ के चकाचौंद में गुम न हो जाना।
तुम्हारी पेहचान ही तुम्हारी अस्तित्व है,
भूल ना जाना “आदिवासी” ही धर्म और कर्म है।

आदिवासी है।
वक्त आने पर
घर में घुस कर मारेंगे।

आज भी हम देश के आदिवासी समाजों से प्रकृति,
और पर्यावरण को लेकर बहुत कुछ सीख सकते हैं।

Adivasi Shayari Photo
भील को जंजीर में कैद करने का सपना मत देख,
क्यूँ की हम वो शेर हैं जिसकी भी शिकार करते हैं,,
उसका जिस्म तो क्या रूह भी दम तोड़ देती है।
जय भीलवंश

मैं केवल देह नहीं, मैं जंगल का पुस्तेनी दावेदार हूं,
पुश्ते और उनके दावे मरते नहीं में भी मर नहीं सकता,,
मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता।

धीरे-धीरे ही सही मेरा आदिवासी समाज जाग तो रहा है,
आज देखो मेरे पोस्ट पर जय जोहार ” बोलने वालो की कमी नहीं है।

आदिवासी चाहे तो एक पल में सबकुछ तबाह कर सकता है
ये जानते हुए भी शांत रहने का मजा ही अलग है।

आदिवासी हमारा धर्म है
जोहार मेरा अभिवादन
प्रकृति हमारी पूजा है
तीर कमान हमारी पहचान
जल जंगल हमारी जान है
अम्बेडकर बिरसा हमारा स्वाभिमान
जय जोहार जय आदिवासी

धरती की छाती पर सीना तान के चलते हैं,
हम आदिवासी कभी हार नहीं मानते हैं।

धर्म परिवर्तन करने वाले अब आदिवासी नहीं हैं,
उन्होंने अपने पुरखों की परंपरा को छोड़ दिया है।

समाज में तो सभी जीते हैं,
लेकिन समाज के लिए जीने वाले लाखों में एक होते हैं।

जल जंगल जमीन के संरक्षक वो
प्रकृति और संस्कृति के रक्षक जो,
वेशभूषा विविधताओं को समेटे वो,
कला जीवन शैली को बचाये जो,
प्रकृति के उपासक आदिवासी वो।

पेड़ों ने आज पूछा तू इतना चुप क्यों है,
मैंने कहा — वो आदिवासी अब मेरे साथ नहीं है।

Adivasi Shayari
अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करें।
अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करें।
आदिवासी होना एक बात है और
आदिवासी समाज के लिए जीना दूसरी बात।
जय आदिवासी
धन भी रखते है, गन भी रखते है,
और_सुन बेटा, थोड़ा हटके रइयो वरना,,
ठोकने का ज़िगर भी रखते है।
आदिवासी कहलाना हमारे समाज की एकता का स्वाभिमान है,
“जय जोहार” का नारा हमारी संस्कृति की पहचान।
मुसीबतों से डर कर तो हर कोई बैठ जाता हैं,
पर जो मुसीबतों में भी हार नहीं मानता वही,,
असली शेर कहा जाता हैं।
मोहब्बत क्या होती है एक बार हम
आदिवासियों से करके देख पगली तू
सारा जहाँ भूल जाएगी – जय
जोहर, जय आदिवासी
ऐसा होगा या वैसा होगा, ना जाने कैसा होगा,
ज्यादा सोच मत पगली तेरे सपनो का राजकुमार
Adivasi Boyजैसा होगा।
जंगल का राजा शेर होता है ये सब कहानियां है,
जंगल का राजा आदिवासी होता है ये हक़ीक़त है।
शेर की सवारी या आदिवासियों की
यारी नसीब वालों को मिलती है।
जय जोहार जय आदिवासी
उठी अगर उंगलियां आदिवासियों पर,
तो इतिहास दोबारा दोहराया जाएगा,
तुम बंदूके तलवारें लेकर आओगे,
ओर यह आदिवासी तीर कमानो से ही तुम पर भारी पड़ जायेगा,
Adivasi Shayari 2 Line
प्राकृति की छाया में पले बड़े हैं
हमे गर्व है कि हम आदिवासी समाज में जन्मे है।
तेरे पैंतरे को तेरे दंगल को खूब समझते हैं
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं
उससे कहो बीहड़ की कहानियाँ न सुनाए
चम्बल के लोग चम्बल को खूब समझते हैं
आदिवासी कोई धर्म नहीं है,
आदिवासी एक सभ्यता है एक संस्कृति है,,
ऐसी संस्कृति जो पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है।
अच्छा लगता है मुझे उन लोगों को
जोहार का अभिवादन करना’
जो मेरे समक्ष न होते हुए भी मेरे ह्मदय के
बहुत पास होने का एहसास दिलाते हैं।
हम आदिवासियों
का एक ही उसूल है मर जायेंगे
लेकिन डरेंगे नही !!
मुझे गर्व है कि में आदिवासी है,
क्योंकि मैं इस धरती का मूलवासी हैं।
मेरी अपनी संस्कृति है,
मेरी अपनी भाषा है।
हम किसी पर आश्रित नहीं हैं,
हमारा अपना वजूद है।
आदिवासी न तो आस्तिक है,
न तो नास्तिक है, आदिवासी वास्तविक है।
देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर आदिवासी नेता,
एवं जननायक भगवान बिरसा मुंडा जी की को कोटि-कोटि नमन।
उठी अगर उंगलियां आदिवासियों पर,
तो इतिहास दोबारा दोहराया जाएगा।
तुम बंदूके तलवारें लेकर आओगे,
ओर यह आदिवासी तीर कमानो से ही,,
तुम पर भारी पड़ जायेगा।
प्रकृति है जननी हम सब की, इससे गहरा जिसका नाता है,
हर जीव का कल्याणकारी ही आदिवासी कहलाता है।
-मयंक विश्रोई
आदिवासी शायरी
मैं ये नही केहता के कट्टर आदिवासी हमसे जुड़े।
मैं तो बस यही कहता हु की बस आदिवासी हमसे,,
जुड़े कट्टर तो हम बना देंगे।।
जोहार जिंदगी .
कभी हार मत मानना मेरे दोस्त संघर्ष भी उन्ही को चुनता है,
जिसमे लड़ने की ताकत होती है।
हमारे आदिवासी होने का अंदाजा तू क्या लगाएगी पगली,
हम जब गांव से भी गुजरते हैं तो लडकियां भी कहती हैं,
भाड़ में गया काम, आदिवासी साहब राम राम ।
अपना Attitude उस Revolver की तरह है,
जिसे देखते ही लोगों की फट जाती है।
आदिवासी की ताकत से पूरा ब्रह्ममाड डोलता हैं,
ये हम नहीं हमारा इतिहास बोलता हैं।
आदिवासी को कभी हल्के मे मत लेना,
वरना बहुत भारी पड़ेगा मेरी जान।
लड़की के प्यार को छोड़ो तुम मेरी दोस्त बनी रहने देना,
सुना है प्यार मुकर जाता है लेकिन आदिवासी यार नहीं ।
जंगल है तो आदिवासी है,
और आदिवासी है तभी जंगल है।।
जंगल है हमारा घर,
नदियाँ हैं हमारी प्यास,
पेड़-पौधे दोस्त हमारे,
पशु-पक्षी है पासा
हम प्रकृति के पूजक,
हर साँस में उसका वास,
आदिवासी हैं हम,
यही है हमारा इतिहास।
हम पैदा ही उस कुल में हुए हैं।
जिनका ना तो खून कमजोर है,
ना ही दिल ।
हम आदिवासियों की आदिवासियत (आदिवासी दर्शन )
को न तो वर्गीकृत किया जा सकता है न ही किसी मानक
से नाप सकते हैं, क्योंकि यह तो विरासत में मिला हुआ वह
गुण है जिसे कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता और न ही
इसे कोई खारिज कर सकता है।
पगले शेरनी की भूख ओर,
आदिवासी का लुक दोनो ही जान लेवा है।
हम अपनी मिसाल खुद है,
किसी और जैसा बनने की तमन्ना नहीं रखते।
यदि जंगल को दिल मानें,
तो उसकी धड़कन आदिवासी हैं।
गरज उठे गगन सारा.
समुद्र छोडे अपना किनारा.
हिल जाए जहान खरा.
जब गूंजे जय जोहार का नारा..।
ये आदिवासियों के गांव के है बेटे,
आ मत जाना कभी लपेटे में।
हमारे देश में भी अनेक ऐसे त्योहार, अनेक ऐसी पूजा-पद्धति,
पढ़े-लिखे लोग हों, अनपढ़ हो, शहरी हो, ग्रामीण हो,
आदिवासी समाज हो, प्रकृति की पूजा, प्रकृति के प्रति प्रेम एक
सहज समाज जीवन का हिस्सा है लेकिन हमें उसे आधुनिक
शब्दों में आधुनिक तर्कों के साथ संजोने की ज़रूरत है।