जिंहम ही पत्थर के हो गये ये सोचके, कि ज़िंदगी तो फूल बनेगी नहीं।

डूबना नहीं था ज़िन्दगी की नैय्या में, इसलिए मैंने सपनो की नांव तैयार रखी।

बोझ कंधो पर नहीं मन पर था तभी तो मैं ज़्यादा दूरी तक चल नहीं पाया।

मैंने खुद को क्या जीता , सारी दुनिया ही मेरी हो गयी।

ज़िन्दगी का उद्देश्य चाहे कुछ भी हो , मगर खुश रहने का कारण कुछ ना हो।

ज़िन्दगी पे इलज़ाम बहुत लगे हुए है , चलो मुस्कुराले ताकि बेदाग हो सके।

एक ज़ज़्बा ही इंसान को जिंदा रखता है , वरना सांस तो अंदर से मरा इंसान भी ले लेता है।

जितनी ढील दोगे दुनिया को, उतनी ही तुम्हारे तमाशो की पतंग उड़ाएगी।

मुसाफिर की बातों पर ऐतबार मत करना, हस के टाल देना, बस प्यार मत करना।

ज़िन्दगी के कुछ फैसले मैंने लिए है, और कुछ फैसले लोगो ने मुझे दिए है।

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